गरीबी से जूझती पूर्णिया की अनीता सोरेन ने जिला स्तरीय भाला फेंक प्रतियोगिता में जीता स्वर्ण पदक
सारांश
अनीता की कहानी उन असामान्य संघर्षों और अथक प्रयासों की कहानी है जो जीवन को जीतने की प्रेरणा देती है। एक गरीब परिवार से आने वाली अनीता के पिता ताला सोरेन शारीरिक रूप से बीमार हैं, जिससे घर की सारी जिम्मेदारियाँ उनकी माँ हप्पन हाँसदा के कंधों पर आ पड़ी
अनीता की कहानी उन असामान्य संघर्षों और अथक प्रयासों की कहानी है जो जीवन को जीतने की प्रेरणा देती है। एक गरीब परिवार से आने वाली अनीता के पिता ताला सोरेन शारीरिक रूप से बीमार हैं, जिससे घर की सारी जिम्मेदारियाँ उनकी माँ हप्पन हाँसदा के कंधों पर आ पड़ी हैं। हप्पन जी गाँव में दूसरों के खेतों में और तिहाड़ी पर काम करके अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं। अनीता पाँच बहनों और एक छोटे भाई में चौथे नंबर की है, और परिवार की गरीबी के बावजूद उनकी आँखों में सपनों की चमक कभी मंद नहीं हुई।
अनीता की शिक्षा और खेल के प्रति उनकी लगन को एक विशेष प्रोत्साहन मिला है। पूर्णिया के एक दयालु परिवार, विशेष रूप से दुर्गा जयसवाल का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। दुर्गा जी एक प्राइवेट स्कूल की शिक्षिका हैं और अपने पति के साथ गरीब बच्चों के बीच सामाजिक कार्य करती हैं। उन्होंने अनीता की शिक्षा और खेल की यात्रा में अनगिनत मदद की है।
वर्तमान में अपग्रेडेड हाई स्कूल, रंगपुरा, मीरगंज, धमदाहा प्रखंड, पूर्णिया जिले में 9वीं कक्षा की छात्रा अनीता की इस उपलब्धि ने उन्हें नया आत्मविश्वास और उत्साह दिया है। अब, अनीता राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए तैयार हैं, और उनकी सफलता का यह पहला कदम उन्हें और भी ऊँचाइयों तक पहुंचाने का है।
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