क्या आप जानते हैं? कौवा बीमार होने पर चींटियाँ क्यों खोजता है? जानिए इस अनसुने रहस्य के पीछे का विज्ञान
सारांश
कौवे का बदलता व्यवहार: बीमारी के समय क्या होता है? कौवे का जीवन आमतौर पर ऊर्जावान और सतर्कता से भरा होता है। लेकिन जब वह बीमार पड़ता है, तो उसकी चपलता कम हो जाती है। उसकी उड़ान धीमी पड़ने लगती है, चोंच से कम आवाज़ निकलती है, और वह असामान्य हरकतें करन

कौवे का बदलता व्यवहार: बीमारी के समय क्या होता है?
कौवे का जीवन आमतौर पर ऊर्जावान और सतर्कता से भरा होता है। लेकिन जब वह बीमार पड़ता है, तो उसकी चपलता कम हो जाती है। उसकी उड़ान धीमी पड़ने लगती है, चोंच से कम आवाज़ निकलती है, और वह असामान्य हरकतें करने लगता है। ऐसे समय में कौवा एक असामान्य काम करता है — वह चींटियों की तलाश में निकल पड़ता है।
यह सवाल यहीं से जन्म लेता है: आखिर चींटियों में ऐसा क्या है जो बीमार कौवे को राहत दे सकता है?
चींटियाँ क्यों बनती हैं कौवे की पहली पसंद?
धरती पर रेंगती ये छोटी-छोटी चींटियाँ सामान्य नजर में मामूली लगती हैं। लेकिन इनके भीतर छुपा है एक ऐसा रहस्यमयी तत्व, जो कई जीवों के लिए जीवनरक्षक बन जाता है — फॉर्मिक एसिड।
फॉर्मिक एसिड एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है, जो जीवाणुओं, फफूंद और परजीवियों के खिलाफ असरदार ढाल का काम करता है। कौवे को इसकी जरुरत तब पड़ती है जब उसका शरीर कमजोर हो जाता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
एंटींग: प्रकृति का अनोखा इलाज
कौवे के इस व्यवहार को वैज्ञानिकों ने नाम दिया है: एंटींग (Anting)।
जब कौवा चींटियों को खोजता है, तो वह उन्हें अपने पंखों और शरीर पर रगड़ता है। कभी-कभी वह उन्हें हल्के से पकड़कर मसलता है, ताकि चींटियाँ फॉर्मिक एसिड छोड़ें।
यह एसिड कौवे के पंखों और त्वचा पर फैल जाता है, जिससे वहां मौजूद बैक्टीरिया और परजीवी खत्म होने लगते हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो, कौवा खुद को एक प्राकृतिक दवा से स्नान कराता है — और वह दवा है चींटियों से निकला फॉर्मिक एसिड!
बीमार होने पर कौवे को एंटींग की क्यों जरूरत पड़ती है?
जब कौवा बीमार होता है, तो उसका इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। यही वह वक्त होता है जब वायरस, बैक्टीरिया और त्वचा पर मौजूद परजीवी तेजी से पनप सकते हैं।
यदि समय रहते इनसे निपटा न जाए, तो यह संक्रमण और भी गंभीर बीमारियों का रूप ले सकता है।
इसलिए, कौवा अपने शरीर की रक्षा के लिए प्रकृति से मिले इस अद्भुत तरीके — एंटींग — का सहारा लेता है।
यह न केवल उसे बाहरी संक्रमणों से बचाता है, बल्कि शरीर को भी आराम और राहत प्रदान करता है।
क्या सिर्फ कौवे ही करते हैं एंटींग?
चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ कौवे ही नहीं, बल्कि कई अन्य पक्षी जैसे मैना, गौरैया, कठफोड़वा और यहां तक कि तोते भी इस प्रक्रिया को अपनाते हैं।
यह दिखाता है कि एंटींग एक सामान्य प्राकृतिक रणनीति है, जिसे अलग-अलग प्रजातियों ने हजारों वर्षों में विकसित किया है।
चींटियों के अलावा अन्य विकल्प भी अपनाते हैं पक्षी
कुछ पक्षी चींटियों के अलावा भी अन्य साधनों से एंटींग करते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ प्रजातियाँ तंबाकू के पत्तों, नींबू के टुकड़ों या तेज़ गंध वाली अन्य जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करती हैं।
परंतु चींटियों का प्राकृतिक और ताजगी से भरपूर फॉर्मिक एसिड अब भी सबसे पसंदीदा विकल्प बना हुआ है।
कौवे से हमें क्या सीख मिलती है?
कौवे का यह व्यवहार हमें सिखाता है कि जब भी जीवन में समस्या आए, तो समाधान अक्सर हमारे आसपास के प्राकृतिक संसाधनों में छिपा होता है।
समझदारी से काम लेना, खुद का ख्याल रखना और समय रहते इलाज करना — यही सीख कौवे की इस आदत से हमें मिलती है।
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