बंधुआ मजदूरी से मुक्ति के नाम पर धर्मांतरण का काला खेल: विदेशों से फंडिंग, निजी कामों में खर्च
सारांश
निपनिया स्थित कुताय ऋषिदेव टोला में की गई जांच में सामने आया कि इन संगठनों का उद्देश्य केवल धन संग्रह ही नहीं, बल्कि समाज में जातिगत विभाजन पैदा करना और धर्मांतरण को बढ़ावा देना भी है। ये संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करने में भ
निपनिया स्थित कुताय ऋषिदेव टोला में की गई जांच में सामने आया कि इन संगठनों का उद्देश्य केवल धन संग्रह ही नहीं, बल्कि समाज में जातिगत विभाजन पैदा करना और धर्मांतरण को बढ़ावा देना भी है। ये संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करने में भी सक्रिय हैं।
हमारी टीम ने कथित पीड़ितों से मुलाकात कर पाया कि इन संगठनों द्वारा बनाए गए अधिकांश मामले फर्जी हैं। पुनर्वास के नाम पर जुटाए गए फंड का इस्तेमाल व्यक्तिगत लाभ के लिए किया जा रहा है, जबकि वास्तविक पीड़ितों तक मदद नहीं पहुंच रही है। यह मामला न केवल आर्थिक धोखाधड़ी का है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है, क्योंकि इन संगठनों की गतिविधियां देश की एकता और अखंडता को प्रभावित करने वाली हैं।
स्थानीय प्रशासन से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है। वास्तव में सोशल एक्टिविस्ट और हमारा न्यूज़ एजेंसी ने मिलकर इस बात की जानकारी जिला प्रशासन को दी थी तब तक में एक घटना और हो गई कि वैसे ठग गो जो वर्षों से ठगी कर रहे हैं मानवाधिकार में एक आवेदन डाला की पूर्णिया के धमदाहा ब्लॉक के निपानिया गांव में बंधुआ मजदूरी करवाया जा रहा है।
दिल्ली मानवाधिकार आयोग से इस मामले को लेकर एक पत्र जारी किया गया पूर्णिया जिला प्रशासन को। इसके बाद जिला प्रशासन उक्त स्थान पर पहुंचा। उस वक्त हमारी टीम भी लगातार वहां मौजूद रही। वहां पर यह खुलकर बात सामने आ गई कि गरीब ग्रामीणों को प्रलोभन दिया गया था कि कि आप लोगों को बहुत ज्यादा फायदा हम लोग दिलवाएंगे और यह कह कर उन लोगों से सारे निजी कागजात ले लिए गए थे और सादे पन्ने पर अंगूठे का निशान लिया गया था। लगभग सभी महिला पुरुषों के अंगूठे के निशान सादे पन्ने पर लिए गए थे।
इन लोगों को लोभ दिया गया था कि आप लोगों को पैसा और जमीन दिलवाया जाएगा। परंतु इस आड़ में उनके सारे पेपर बिहार होते हुए दिल्ली और फिर विदेश तक चले जाते हैं और बड़ा घोटाला किया जाता है । उनकी तस्वीर देकर और उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर। प्रशासन के लोगों ने घटनास्थल पर यह माना कि एक बहुत बड़ा धांधली चल रहा है जिसे प्रशासन को पता नहीं था और लोभ देकर गलत काम किया जा रहे हैं।
बताते चलें कि पूर्णिया से हिंदुस्थान समाचार, अंग इंडिया न्यूज, पैग़ाम वाला न्यूज़ एवं एक सोशल एक्टिविस्ट इस मामले को लेकर लगभग एक वर्ष से काम कर रहे हैं। एक वर्ष में इतना सबूत ढूंढा गया है जो चौंका देने वाला है। आगे इस मामले में एक एक कर खबरों के द्वारा जानकारी दी जाएगी जिस से देश और विदेश तक के एजेंटों के,संस्थाओं के एवं स्कूलों के डायरेक्टर के नाम खुलासे होंगे।
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