आजादी के 78 साल बाद इस गांव को मिली पहली सरकारी नौकरी, आयुष राजपूत की कहानी बनी मिसाल
सारांश
भारत विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन अब भी देश के कई गांव बुनियादी सुविधाओं और सरकारी नौकरियों के इंतज़ार में हैं। फर्रुखाबाद जिले के कमालगंज ब्लॉक के खेरे नगला गांव की कहानी भी कुछ ऐसी ही रही। 78 साल की आज़ादी के बाद यहां पहली बार किसी ने स
भारत विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन अब भी देश के कई गांव बुनियादी सुविधाओं और सरकारी नौकरियों के इंतज़ार में हैं। फर्रुखाबाद जिले के कमालगंज ब्लॉक के खेरे नगला गांव की कहानी भी कुछ ऐसी ही रही। 78 साल की आज़ादी के बाद यहां पहली बार किसी ने सरकारी नौकरी हासिल की है।
आयुष राजपूत ने रचा इतिहास
खेरे नगला गांव के किसान परिवार में जन्मे आयुष राजपूत ने अपनी मेहनत और लगन से ED (प्रवर्तन निदेशालय) में सहायक प्रवर्तन अधिकारी (AEO) के पद पर चयनित होकर इतिहास रच दिया। उनके इस मुकाम ने गांव को गर्व और खुशी की वजह दी है।
संघर्ष भरा रहा आयुष का सफर
आयुष का बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता। दिन में खेतों में पिता के साथ काम करना और रात में पढ़ाई करना उनकी दिनचर्या थी। SD इंटर कॉलेज से पढ़ाई की शुरुआत कर स्वराज इंटर कॉलेज से 12वीं और फिर रामकृष्ण महाविद्यालय से BSc की डिग्री पूरी की। रोज़ 15 किलोमीटर साइकिल चलाकर कॉलेज जाना उनकी जिद और जुनून का उदाहरण है।

“कमजोरियों को पहचाना, समय का सही इस्तेमाल किया”
नेटवर्क18 से बातचीत में आयुष ने कहा, “मैंने अपनी कमजोरियों को पहचाना, समय का सही इस्तेमाल किया और पढ़ाई पर ध्यान दिया।” उनकी इसी मेहनत ने उन्हें ED में सरकारी नौकरी तक पहुंचा दिया।
गांव में जश्न और उम्मीद की किरण
आयुष की सफलता ने गांव में जश्न का माहौल बना दिया। मिठाइयां बांटी गईं और लोगों ने परिवार को बधाइयां दीं। अब वे गांव के युवाओं के लिए एक मिसाल बन गए हैं। उनकी कहानी उन हजारों युवाओं को प्रेरणा दे रही है जो कठिनाइयों के बीच अपने सपनों को सच करने की कोशिश कर रहे हैं।
ताजा हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ सबसे पहले पढ़ें पैग़ाम वाला पर। हमारी विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट पर आपको मिलेंगी बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, राज्य और खेल से जुड़ी अहम ख़बरें। पैग़ाम वाला पर हर पल की अपडेट्स और प्रमुख घटनाओं की विस्तृत जानकारी पाएं।
‘पैग़ाम वाला’ जैसी स्वतंत्र पत्रकारिता को आपके समर्थन की ज़रूरत है। हम किसी भी कॉर्पोरेट या राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर काम करते हैं, और हमारी रिपोर्टिंग पूरी तरह से हमारे पाठकों के सहयोग पर निर्भर है। आपका छोटा सा योगदान भी हमें सच आप तक पहुँचाने में मदद करेगा।