अर्जुन रॉकी : गरीबी के विपरीत माहौल से निकलकर संगीत शिक्षक तक का सफर
सारांश
मधेपुरा : बिहार के मधेपुरा जिले में जन्मे अर्जुन रॉकी की शिक्षा की शुरुआत स्थानीय मध्य विद्यालय श्रीनगर (घैलाढ़) से हुई। इसके बाद उन्होंने पालेश्वर झा उच्च विद्यालय गोठ बरदाहा से 10वीं और आदर्श इंटर कॉलेज जीवछपुर घैलाढ़ से 11वीं-12वीं की पढ़ाई की। स
मधेपुरा : बिहार के मधेपुरा जिले में जन्मे अर्जुन रॉकी की शिक्षा की शुरुआत स्थानीय मध्य विद्यालय श्रीनगर (घैलाढ़) से हुई। इसके बाद उन्होंने पालेश्वर झा उच्च विद्यालय गोठ बरदाहा से 10वीं और आदर्श इंटर कॉलेज जीवछपुर घैलाढ़ से 11वीं-12वीं की पढ़ाई की।
संगीत के प्रति उनका लगाव बचपन से ही था और उन्होंने सहरसा के इवनिंग कॉलेज से बी.ए. संगीत (आनर्स) तक के सफर तय किए। वो कहा जाता है न की जिसे कुछ पाने की जिद हो तो लाख बाधा भी आए फिर भी जिद को पूरा कर ही लेते हैं।इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भी उन्होंने संगीत प्रभाकर की डिग्री प्राप्त की। अपनी प्रतिभा के दम पर 2018 में उन्होंने पूरे बिहार में गायिकी के क्षेत्र में दूसरा स्थान हासिल किया।
अर्जुन 2019 में, इंडिया टैलेंटेड फाइट रियालिटी शो के तीसरे दौर तक पहुंचे, लेकिन परिवारिक कारणों से चौथे दौर में शामिल नहीं हो पाए। इसके बावजूद, उन्होंने न केवल बिहार बल्कि कई अन्य राज्यों में गजल संध्याओं में अपनी गायकी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया और अबतक लगभग 200 बच्चों को संगीत की शिक्षा भी दे चुके हैं ।
अपने सफल करिअर के साथ-साथ, अर्जुन रॉकी ने फेसबुक पर लाइव गाने का सिलसिला भी शुरू किया था, जिसे लाखों लोग रात 8:30 बजे देखा करते थे। हालांकि अब सरकारी नौकरी में जाने के कारण वे लाइव नहीं कर पा रहे हैं।
हाल ही में, बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में चयनित होकर उन्हें पटना के मोकामा इलाके में उच्च विद्यालय मराँची मोकामा (पटना)में संगीत शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।
गरीबी से जूझते हुए भी अर्जुन रॉकी ने अपनी लगन और मेहनत से न सिर्फ संगीत जगत में विशिष्ट पहचान बनाई, बल्कि अब वे एक सफल शिक्षक के तौर पर भी युवा पीढ़ी को प्रेरणा दे रहे हैं।
आगे बातचीत में अर्जुन रॉकी ने कहा कि उनकी संगीत शिक्षा की शुरुआत सहरसा में ही नैनशी रंगमंच से हुई। और अपना आदर्श रौशन कुमार सिन्हा, माधव वर्मा और विजय वर्मा को बताया।
इसके बाद संगीत की शिक्षा को और भी बेहतर बनाने के लिए दिल्ली, कोलकाता और बनारस का भी सफर तय किया, और अंत में अर्जुन रॉकी ने कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं, उसका श्रेय मम्मी-पापा और भैया को जाता है। उनके ही आशीर्वाद से आज ये सब संभव हो पाया है।
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