Central University in Saharsa: भाजपा नेता ने सहरसा में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना की मांग की
सारांश
Central University in Saharsa : भारतीय जनता पार्टी के लोक सभा प्रभारी सह व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश नेता शशिशेखर सम्राट ने मानव संसाधन विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर बिहार के सांस्कृतिक इतिहास को समेटे उपेक्षित क्षेत्र सहरसा में केंद्र
Central University in Saharsa : भारतीय जनता पार्टी के लोक सभा प्रभारी सह व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश नेता शशिशेखर सम्राट ने मानव संसाधन विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर बिहार के सांस्कृतिक इतिहास को समेटे उपेक्षित क्षेत्र सहरसा में केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थापना के सम्बन्ध में आवेदन देकर मांग की।
क्षेत्र की वर्तमान स्थिति - उद्योग और रोजगार के अवसरों की कमी, कृषि पर निर्भरता।
उन्होंने कहा कि बिहार का सहरसा जिला आजादी के पूर्व भागलपुर के उत्तर पूर्व कोने का पुलिस ज़िला था। जो आज़ादी के बाद 1954 में जिला बना। लेकिन कोशी नदी के बाढ़ से प्रभावित बिहार राज्य का उपेक्षित जिला बना रहा। न यहां कोई उद्योग है न रोजगार के अन्य साधन। यहां की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है।
सहरसा का समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व, जिसमें आदि शंकराचार्य, मंडन मिश्र, और कई महान व्यक्तियों का संबंध शामिल है।
जबकि यहां का सांस्कृतिक इतिहास काफी समृद्ध है। माननीय अवगत होंगे कि आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य वैदिक धर्म की प्रतिष्ठापना के लिए केरल से काश्मीर तक विद्वानों से विमर्श भ्रमण किये। लेकिन सिर्फ एक जगह उन्हें शास्त्रार्थ में पराजित होना पड़ा।वह जगह है सहरसा का महिषी गांव महान दार्शनिक मंडन मिश्र यहीं के थे।
हिंदी के साहित्यकार राजकमल का जन्म भी इसी गांव में हुआ। महर्षि वशिष्ठ और ऋंगी ऋषि की आराधना स्थली और योगीराज परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाईं की कर्मस्थली भी यह क्षेत्र रही है। साक्ष्य के अनुसार 780 से 915 ई० तक धर्म मूला नदी के किनारे पाल वंश की राजधानी यहां थी। महात्मा गांधी, डॉ राजेन्द्र प्रसाद , विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण जैसे महान व्यक्ति सहरसा आ चुके हैं। लेकिन बाद के बर्षों में यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से उपेक्षित रहा।
शैक्षणिक सुविधाओं की कमी - वर्तमान में कोई विश्वविद्यालय नहीं, सिर्फ एक कृषि महाविद्यालय जो सीमित छात्रों को सेवा देता है।
सहरसा में एक भी विश्वविद्यालय नहीं है। एक मंडन भारती कृषि महाविद्यालय है। जिसमें छात्र की संख्या निर्धारित है और व्यय साध्य भी है। जो कतिपय वर्गों तक ही सीमित है!ऐसे में श्रीमान से आग्रह है कि सहरसा में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना होने से इस इलाक़ा के विद्यार्थी को कभी लाभ मिलेगा।सहरसा की खोयी संस्कृतिक विरासत पुनः बहाल होगी तथा देश को विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक भी सिद्ध होगा। अगर आप सदृश्य दयावान मंत्री इस समस्या पर ध्यान नहीं देंगे तो हम उपेक्षित कोशी क्षेत्र के लोगों की आश कहां पूरी होगी।
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