पत्रकारिता भूल चुके हैं दैनिक जागरण के पत्रकार; बिना सच जाने कर दिया पक्षपाती खबरों का प्रकाशन
सारांश
हाल ही में एक भूमि विवाद की खबर बिहार के मधेपुरा जिले से आई, जिसमें मां-बेटे के जख्मी होने की बात कही गई। इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए स्थानीय अखबार दैनिक जागरण ने पड़ोसियों को दोषी ठहराते हुए घटना का विवरण प्रस्तुत किया। हालांकि, खबर में
हाल ही में एक भूमि विवाद की खबर बिहार के मधेपुरा जिले से आई, जिसमें मां-बेटे के जख्मी होने की बात कही गई। इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए स्थानीय अखबार दैनिक जागरण ने पड़ोसियों को दोषी ठहराते हुए घटना का विवरण प्रस्तुत किया। हालांकि, खबर में एक महत्वपूर्ण बात नदारद थी – दूसरे पक्ष की सुनवाई।

क्या था विवाद?
खबर में बताया गया कि भूमि विवाद के कारण एक हिंसक झड़प हुई, जिसमें पड़ोसियों द्वारा हमला किए जाने से मां और बेटा घायल हो गए। लेकिन जब दूसरे पक्ष की शिकायत सामने आई, तो मामला कुछ और ही दिखा।
कंचन देवी का पक्ष
कंचन देवी, जो इस विवाद में खुद को पीड़ित बता रही हैं, ने कहा है कि:
- उनकी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जा करने की कोशिश की गई।
- जब उन्होंने विरोध किया, तो उनके साथ गाली-गलौज, धक्का-मुक्की और हमले की घटना हुई।
- लोहे की रॉड से हमला कर उनके हाथ को गंभीर चोट पहुंचाई गई, जिससे उनकी हाथ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया।
- उनके बेटे डेविड कुमार पर गुलेल से हमला किया गया और फरसे का उपयोग कर जान से मारने की कोशिश की गई।
- कंचन देवी ने यह भी बताया कि उक्त आरोपी पहले भी कई बार उनके बेटे पर हमले की कोशिश कर चुके हैं।
- साजिश के तहत उनके बेटों और पति को अभियुक्त बनाया गया है।
पत्रकारिता की जवाबदेही: दोनों पक्षों की सुनवाई क्यों जरूरी?
इस मामले में एक प्रमुख अखबार ने केवल एक पक्ष की कहानी को प्रकाशित किया और पड़ोसियों को हमलावर घोषित कर दिया। बिना तथ्यों की जांच और दूसरे पक्ष की बात सुने, इस तरह की रिपोर्टिंग पत्रकारिता के निष्पक्षता के सिद्धांत को कमजोर करती है।
- क्या दोनों पक्षों से बात की गई थी?
- क्या पुलिस रिपोर्ट या स्वतंत्र गवाहों की राय ली गई?
- कंचन देवी के आवेदन का कोई जिक्र क्यों नहीं हुआ?
पक्षपाती खबरों के दुष्प्रभाव
पक्षपाती रिपोर्टिंग से न केवल निर्दोष लोग समाज के सामने दोषी ठहराए जाते हैं, बल्कि वास्तविक पीड़ितों की आवाज़ भी दब जाती है। यह पत्रकारिता का कर्तव्य है कि वह सच्चाई को सामने लाए, न कि एकतरफा कहानियों को बढ़ावा दे।
क्या होना चाहिए?
- निष्पक्ष जांच: दोनों पक्षों के बयानों और पुलिस रिपोर्ट के आधार पर सटीक जानकारी सामने लानी चाहिए।
- तथ्यों का सत्यापन: किसी भी खबर को प्रकाशित करने से पहले उसकी पुष्टि करना जरूरी है।
- पत्रकारिता की मर्यादा: मीडिया को चाहिए कि वह अपनी विश्वसनीयता बनाए रखे और जनता को सही जानकारी दे।
हमारी राय
भूमि विवाद जैसे मामलों में भावनाएं अक्सर भड़क जाती हैं, लेकिन मीडिया का काम है शांत, निष्पक्ष और तथ्यात्मक रिपोर्टिंग करना। कंचन देवी के आवेदन से स्पष्ट है कि घटना की दूसरी तस्वीर भी सामने आनी चाहिए थी।
सच्चाई हमेशा दो पहलुओं में होती है, और पत्रकारिता का धर्म है उन दोनों को सामने लाना। आखिरकार, पत्रकारिता को न्याय का पर्याय बनना चाहिए, न कि पक्षपात का मंच।
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