Olympic Games: किस घटना के कारण शुरू करने पड़े थे ओलंपिक खेल और क्या था उद्देश्य आइए विस्तार से जाने
सारांश
[https://hindi.paighamwala.com/wp-content/uploads/2024/08/img-20240811-wa00256589202549538506495-1024x1024.jpg] 1928 एथेंस ओलंपिक आइए आज अपने इस लेख के माध्यम से हम "ओलंपिक खेलों" की उत्पत्ति के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। खेलो का इतिहास लगभग 30

आइए आज अपने इस लेख के माध्यम से हम "ओलंपिक खेलों" की उत्पत्ति के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
खेलो का इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है, जो प्राचीन ग्रीस के "पेलोपॉन्निस" में शुरू हुआ था। "ओलंपिया" में आयोजित खेल प्रतियोगिताएं हर चार साल में आयोजित की जाती थी और उन्हें ओलंपिक खेल नाम दिया गया। इन खेलो के सटीक तिथि बता पाना मुश्किल है लेकिन लिखित स्रोतों में अक्सर 776 ईसा पूर्व की तारीख मिलती है। खेलो के जन्म के सटीक कारण अभी भी अज्ञात है। प्राचीन खेलो के बीच भी चार वर्ष का अंतराल होता था जिसे "ओलंपियाड" का नाम मिला, प्राचीन समय में ओलंपियाड का उपयोग " तिथि निर्धारण" हेतु किया जाता था और इस विधि से वर्षो के स्थान पर समय की गणना होती थी।
आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत

पियरे डी कुबेर्टिन ने 1894 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना की तथा पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरूवात 1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुई। तब से अनवरत ओलंपिक का आयोजन होता आ रहा है केवल 2 बार ऐसा मौका आया जब ओलंपिक का आयोजन नही हो सका। वह समय था 1940 और 1944 क्योंकि उस समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था।
ओलंपिक खेलों का मुख्य उद्देश्य
इन खेलो के माध्यम से मनुष्य को विकसित करना और विश्व शांति में योगदान करना इनका मुख्य उद्देश्य रहा है। खेलो के माध्यम से शारीरिक और नैतिक गुणों के विकास को बढ़ावा देना और दुनिया को दिखाना की संघर्ष जीत से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि लक्ष्य पाने हेतु बार बार भाग लेना और जीत हेतू संघर्ष करना महत्वपूर्ण है।
ओलंपिक खेलों का आदर्श वाक्य
मूल ओलंपिक आदर्श वाक्य तीन लैटिन शब्दों –
सीटियस(तेज), अल्टियस(ऊंचा), फोर्टियस(मजबूत) से बना था।
लेकिन 20 जुलाई 2021 को, ओलंपिक समिति ने ओलंपिक आदर्श वाक्य में एक शब्द "एक साथ" को जोड़ा। जो खेल की एकीकृत शक्ति और एकजुटता के महत्व को मान्यता देता है।
अब नया आदर्श वाक्य –
सीटियस(तेज), अल्टियस(ऊंचा), फोर्टियस( मजबूत), कम्यूनिटर(एक साथ) है।
ओलंपिक खेलों में भारत का पदार्पण

भारत ओलंपिक खेलों में पहली बार साल 1900 में पेरिस में आयोजित होने वाले संस्करण में भाग लिया था। भारत के "एथलीट नॉर्मन प्रिजर्ड" ने एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीत कर ओलंपिक पदक तालिका में भारत का खाता खोला। भारत ओलंपिक में पदक जीतने वाला पहला एशियाई देश भी बना। भारत ओलंपिक में अपना पहला स्वर्ण पदक 1928 के एमस्टर्डम में आयोजित होने वाले संस्करण हॉकी में जीता। 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में पहलवान "के.डी. जाधव" आजाद भारत की तरफ से व्यक्तिगत पदक(कांस्य) जीतने वाले पहले भारतीय बने।
इसी संस्करण में " नीलिमा घोष" ओलंपिक में भाग लेने वाली आजाद भारत की पहली महिला एथलीट बनी। उन्होंने 100 मीटर स्प्रिंट और 80 मीटर बाधा दौड़ में हिस्सा लिया। साल 2000 में "कर्णम मल्लेश्वरी" पहली भारतीय महिला बनी जिन्होंने ओलंपिक खेलों में भारत के लिए कोई पदक (वेटलिफ्टिंग में कांस्य) जीता। टोक्यो ओलंपिक 2020 भारत के इतिहास का सबसे सफल ओलंपिक रहा है जिसमे भारत ने सात पदक जीते है। जो अब तक भारत का सर्वोत्तम प्रदर्शन रहा है।
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