गांधी जयंती विशेष: महात्मा गांधी के कुछ अनसुने तथ्य, जो शायद आपको नहीं पता
सारांश
महात्मा गांधी का नाम सुनते ही सत्य, अहिंसा और सादगी की छवि सामने आ जाती है। लेकिन उनकी जिंदगी के कई पहलू ऐसे भी हैं जो कम लोग जानते हैं। आज गांधी जयंती के मौके पर जानते हैं बापू के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने और दिलचस्प तथ्य: 1. नोबेल शांति पुरस्कार स
महात्मा गांधी का नाम सुनते ही सत्य, अहिंसा और सादगी की छवि सामने आ जाती है। लेकिन उनकी जिंदगी के कई पहलू ऐसे भी हैं जो कम लोग जानते हैं। आज गांधी जयंती के मौके पर जानते हैं बापू के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने और दिलचस्प तथ्य:
1. नोबेल शांति पुरस्कार से वंचित:
महात्मा गांधी को पांच बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन वे कभी यह पुरस्कार नहीं जीत सके। 1948 में, गांधी की हत्या के बाद नोबेल कमेटी ने उस साल किसी को भी यह पुरस्कार नहीं दिया, यह कहते हुए कि "कोई जीवित उम्मीदवार गांधी के जितना योग्य नहीं है।"
2. फुटबॉल के बड़े प्रशंसक:
शायद यह जानकर हैरानी हो, लेकिन गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में फुटबॉल क्लबों की स्थापना की थी। उन्होंने वहां 'पासिव रेसिस्टर्स सॉकर क्लब' नाम से फुटबॉल क्लब बनाए थे, ताकि भारतीयों में अनुशासन और एकता को बढ़ावा दिया जा सके।
3. महान लेखक और संपादक:
महात्मा गांधी न केवल स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे, बल्कि एक प्रखर लेखक भी थे। उन्होंने अपने जीवन में 50,000 से अधिक पत्र लिखे। इसके साथ ही वे 'यंग इंडिया' और 'हरिजन' जैसी पत्रिकाओं के संपादक भी रहे, जिनके जरिए उन्होंने अपने विचारों को जन-जन तक पहुंचाया।
4. अंग्रेजी पोशाक में वकालत:
महात्मा गांधी ने लंदन में पढ़ाई के दौरान अंग्रेजी सूट पहना और वहां एक योग्य बैरिस्टर के रूप में अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी पोशाक को पूरी तरह बदलकर खादी अपनाई, जो भारतीय सादगी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनी।
5. आत्मकथा का नाम:
गांधी जी की आत्मकथा का नाम "सत्य के प्रयोग" (The Story of My Experiments with Truth) है, लेकिन कम लोग जानते हैं कि इसका मूल नाम गुजराती में "સત્યના પ્રયોગો" था, जिसे उन्होंने गुजराती भाषा में ही लिखा था। इसका अंग्रेजी और हिंदी में अनुवाद बाद में किया गया।
6. फैशन आइकन:
गांधी जी भले ही साधारण खादी धारण करते थे, लेकिन एक समय में लंदन में पढ़ाई के दौरान वे फैशन के प्रति काफी जागरूक थे। उन्हें वहां पर उच्च दर्जे के कपड़े पहनने का शौक था, और वे फैशनेबल टाई, हैट और सूट पहनते थे।
7. संगीत से प्रेम:
महात्मा गांधी को शास्त्रीय संगीत से काफी लगाव था। उन्होंने रविंद्रनाथ टैगोर के 'जन गण मन' और वैष्णव जन तो' जैसे गीतों को आत्मिक ऊर्जा के लिए अपनाया। यहां तक कि वे हर रोज प्रार्थना सभा में भजन गाते थे।
8. लंदन में शाकाहार के लिए संघर्ष:
जब गांधी जी लंदन में कानून की पढ़ाई कर रहे थे, उस वक्त वहां शाकाहारी भोजन मिलना मुश्किल था। इसलिए उन्होंने शाकाहारी जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए 'लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी' में सदस्यता ली और इस आंदोलन का हिस्सा बने।
9. सेक्स और संयम पर विचार:
महात्मा गांधी ने 37 साल की उम्र में ब्रह्मचर्य (संयम) का पालन करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी आत्मकथा में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की है और इसे सत्य और आत्म-अनुशासन के लिए आवश्यक बताया।
10. हिट्लर को लिखा था पत्र:
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, गांधीजी ने हिटलर को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने उसे "प्रिय मित्र" कहकर संबोधित किया और उसे युद्ध को रोकने की अपील की थी। हालांकि, इस पत्र का कोई असर नहीं हुआ, लेकिन यह उनके अहिंसा के सिद्धांत की गहरी समझ को दर्शाता है।
11. ट्रेन से फेंके जाने की घटना पर लिखा कुछ नहीं:
दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से फेंके जाने की घटना, जिसने गांधी जी को रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने की प्रेरणा दी, उस पर उन्होंने अपनी आत्मकथा में बहुत कम लिखा। यह आश्चर्यजनक है क्योंकि यह घटना उनके जीवन की दिशा बदलने वाली थी, लेकिन गांधी जी इसे अपनी मुख्य लड़ाई का हिस्सा नहीं मानते थे।
12. "महात्मा" उपाधि गांधीजी को कभी स्वीकार नहीं थी:
गांधीजी को "महात्मा" की उपाधि रविंद्रनाथ टैगोर ने दी थी, लेकिन गांधीजी ने इसे कभी अपने नाम का हिस्सा नहीं माना। वे स्वयं को एक सामान्य व्यक्ति मानते थे और किसी विशेष उपाधि से जुड़ना नहीं चाहते थे।
13. सबसे छोटा उपवास:
गांधीजी ने अपने जीवन में कई बार उपवास किए, लेकिन उनका सबसे छोटा उपवास केवल 6 घंटे का था। यह उन्होंने एक विशेष परिस्थिति में किया था, जब किसी विवाद को सुलझाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी।
महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े ये अनसुने पहलू हमें यह सिखाते हैं कि उनकी सोच और जीवनशैली कितनी व्यापक और प्रेरणादायक थी। गांधी जयंती के इस मौके पर, आइए हम उनके सिद्धांतों को न केवल याद करें, बल्कि अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी करें।
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