Hindenburg research: कौन हैं माधवी पुरी बुच और धवल बुच, कैसे हिंडनबर्ग ने जोड़े हैं अडानी से इनके तार ?
सारांश
Hindenburg latest news: 24 जनवरी 2023 की तारीख को भारत का कारोबारी जगत कभी नहीं भूलेगा. ये वही तारीख है जब अमेरिकी शार्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी कर सनसनी मचा दी थी. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी को 86 ला
Hindenburg latest news: 24 जनवरी 2023 की तारीख को भारत का कारोबारी जगत कभी नहीं भूलेगा. ये वही तारीख है जब अमेरिकी शार्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी कर सनसनी मचा दी थी. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी को 86 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ था. अब उस हिंडनबर्ग ने एक और बम फोड़ा है. अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने शनिवार को व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए बाजार नियामक सेबी ( SEBI) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर आरोप लगाए हैं. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी और उनके पति धवल बुच की उन ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी है, जो अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं. इन आरोपों के बाद से एक बार फिर से भारत में खलबली मच गई. आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. जिस पर हर कोई बात कर रहा है लेकिन इस लेख में हम बात कर रहे हैं की आखिर कौन हैं माधवी पुरी बुच और कैसे जुड़े हैं अडानी से इनके तार
कौन हैं माधवी पुरी बुच
माधवी पुरी का जन्म 1966 में हुआ, माधवी के पिता कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम करते थे, जबकि मां राजनीति विज्ञान में डॉक्टरेट के पद पर रही, माधबी पुरी सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से मैथ्स में ग्रेजुएट हैं. इसके बाद उन्होंने IIM अहमदाबाद से MBA की डिग्री हासिल की है. IIM-A से ग्रेजुएट होने के बाद, माधवी ने प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन के साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम किया, 1987 में माधवी पुरी का धवल बुच से 21 वर्ष की आयु में विवाह हुआ धवल बुच एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे. शादी के बाद माधवी बुच फाइनेंस एनलिस्ट के रूप में ICICI बैंक से जुड़ गई. उन्होंने साल1989 से 1992 तक आईसीआईसीआई बैंक के साथ का किया. साल 1993 से 1995 तक वो यूनाइटेड किंगडम के वेस्ट चेशायर कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर नियुक्त रहीं . साल 2011 में ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल और इसके बाद साल 2017 तक वो सिंगापुर में ज़ेनसार टेक्नोलॉजीज, इनोवेन कैपिटल और मैक्स हेल्थकेयर जैसी बड़ी कंपनियों में निदेशक के पदों पर काम करती रहीं. अप्रैल 2017 में माधवी पुरी सेबी में पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त हुई, जिसके बाद वो साल 2022 से सेबी की चेयरपर्सन बनीं. 1 मार्च, 2022 से भारत के बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पहली महिला अध्यक्ष बनी जहाँ उन्होंने अजय त्यागी का स्थान लिया था .
कौन हैं माधवी पुरी के पति धवल बुच ?
अब बात करते हैं की आखिर कौन हैं माधवी पुरी के पति धवल बुच ? लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, धवल बुच वर्तमान में ब्लैकस्टोन और अल्वारेज़ एंड मार्सल में वरिष्ठ सलाहकार हैं. वह गिल्डन के बोर्ड में गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम करते हैं. हाल ही तक वह ब्रिस्टलकोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और महिंद्रा समूह के लिए समूह प्रौद्योगिकी के अंतरिम अध्यक्ष थे. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (IIT-D) के पूर्व छात्र, उन्होंने 1984 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है. उनकी लिंक्डइन प्रोफाइल में यह भी बताया गया है कि इससे पहले, धवल बुच का यूनिलीवर के साथ तीन दशक लंबा करियर था. यूनिलीवर में उनकी आखिरी भूमिका कंपनी के मुख्य खरीद अधिकारी के रूप में थी. और उससे पहले, उन्होंने एशिया/अफ्रीका क्षेत्र के लिए यूनिलीवर सप्लाई चेन का संचालन किया. ये दोनों भूमिकाएं सिंगापुर से संचालित थीं. रिपोर्ट के अनुसार, ये संस्थाएं कथित तौर पर विनोद अडाणी के पैसे की हेराफेरी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नेटवर्क का हिस्सा थीं. हिंडेनबर्ग ने संभावित हितों के टकराव के कारण सेबी के पक्षपात पर सवाल उठाया है.
क्या है अडानी घोटाले पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट और आरोप?
अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने 2023 में व्यापक चर्चा और विवाद पैदा किया। इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए, जिनमें मुख्य रूप से वित्तीय अनियमितताएं, स्टॉक मैनिपुलेशन, और कंपनियों की वास्तविक वित्तीय स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत करना शामिल था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुख्य आरोप: स्टॉक मैनिपुलेशन और फर्जीवाड़ा: रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि अडानी ग्रुप ने अपने स्टॉक्स की कीमतें बढ़ाने के लिए फर्जी कंपनियों और विदेशी शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया। हिंडनबर्ग का दावा था कि इन शेल कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप ने स्टॉक की कीमतों को मनमाने तरीके से ऊपर उठाया।
रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप के शीर्ष अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे इन संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थे, जिसमें गुप्त तरीके से कंपनी के शेयरों का कारोबार करना और शेयरधारकों को गुमराह करना शामिल था। वित्तीय लेनदेन की पारदर्शिता का अभाव: हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने वास्तविक कर्ज की मात्रा को छिपाने के लिए जटिल और संदिग्ध लेनदेन का सहारा लिया। इससे उनके वित्तीय विवरणों की सच्चाई पर सवाल उठते हैं। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि अडानी ग्रुप ने अपने कार्यों की जांच से बचने के लिए भारतीय सरकार और नियामक संस्थाओं के साथ अपने संबंधों का उपयोग किया।
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