Agnibaan की ऐतिहासिक उड़ान, भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत
सारांश
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC-SHAR) में गुरुवार को एक नया इतिहास रचा गया। अग्निकुल कॉस्मिक प्राइवेट लिमिटेड ने यहां पर स्थापित अपने निजी लॉन्चपैड से अपने Agnibaan रॉकेट की सफल उड़ान भरी। यह भारत का पहला निजी अंतरिक्ष मिशन था जिसमें
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC-SHAR) में गुरुवार को एक नया इतिहास रचा गया। अग्निकुल कॉस्मिक प्राइवेट लिमिटेड ने यहां पर स्थापित अपने निजी लॉन्चपैड से अपने Agnibaan रॉकेट की सफल उड़ान भरी। यह भारत का पहला निजी अंतरिक्ष मिशन था जिसमें देश के पहले एकल टुकड़ा 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन की शक्ति से रॉकेट को लॉन्च किया गया।
इस शानदार उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अग्निकुल को बधाई देते हुए ट्वीट किया, "विश्व के पहले एकल-टुकड़ा 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित Agnibaan रॉकेट की सफल लॉन्चिंग एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो पूरे देश को गौरवान्वित करेगी। यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र और हमारी युवा शक्ति की अद्भुत प्रतिभा का प्रमाण है।"
A remarkable feat which will make the entire nation proud!
सतीश धवन सेंटर के निदेशक और इसरो के वैज्ञानिकों एवं अग्निकुल के दृढ़ संकल्पित टीम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि यह निजी कंपनियों के लिए गौरव का क्षण है क्योंकि उन्होंने साबित कर दिया है कि भारत की निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, हार्डवेयर डिजाइन और उड़ान भरने में सक्षम हैं।
Humbled to announce the successful completion of our first flight - Mission 01 of Agnibaan SOrTeD - from our own and India’s first & only private Launchpad within SDSC-SHAR at Sriharikota. All the mission objectives of this controlled vertical ascent flight were met and… pic.twitter.com/9icDOWjdVC
Agnibaan एक बेहद शक्तिशाली और अनोखा रॉकेट है। इसकी कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:
डिज़ाइन का अनोखापन:
अग्निबाण को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इसमें बदलाव किया जा सकता है। यानी ग्राहक के हिसाब से इसकी क्षमताओं और आकार को बढ़ाया या घटाया जा सकता है। लेकिन इसके साथ ही इसकी विश्वसनीयता भी बनाए रखी गई है। इसके इंजनों को निकालना और फिर से लगाना आसान नहीं है क्योंकि वाहन का नियंत्रण, स्थिरता और उड़ान भरने की शक्ति इन बदलावों से प्रभावित होती है।
बॉडी का आकार:
अग्निबाण लगभग 18 मीटर लंबा और 1.3 मीटर चौड़ा है। इसका वजन लगभग 14,000 किलोग्राम है। इसकी ऊंचाई एक छोटे इमारत जितनी होगी।
पेलोड क्षमता:
यह रॉकेट 700 किलोमीटर की कक्षा में 100 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है। इसके अंदर एक अलग हिस्सा है जहां छोटे उपग्रहों को रखा जा सकता है। यह हिस्सा 2 मीटर लंबा और 1.5 मीटर चौड़ा है।
लागत प्रभावी:
25 से 100 किलोग्राम तक के पेलोड के लिए अग्निबाण की कीमत एक समान रहेगी। इससे छोटे उपग्रह वाले ग्राहकों को फायदा मिलेगा।
शक्तिशाली इंजन:
अग्निबाण के पहले और दूसरे दोनों चरणों में शक्तिशाली इंजन लगे हैं। यह इंजन 25,000 न्यूटन का बल उत्पन्न करता है और रिक्त अंतरिक्ष में 355 सेकंड तक चल सकता है। यह इलेक्ट्रिक पंप फीड सिस्टम पर आधारित है।
अग्निकुल कॉस्मिक प्राइवेट लिमिटेड ने अपने अग्निबान रॉकेट को विश्वस्तरीय बनाने के लिए एक नया अनूठा समाधान विकसित किया है। कंपनी ने "धनुष" नाम से एक विशेष लॉन्च पेडेस्टल तैयार किया है जो अग्निबान के सभी संस्करणों के साथ उपयोग किया जा सकता है और दुनिया भर में किसी भी जगह से इसकी लॉन्चिंग संभव होगी।

धनुष एक बहुत ही अनोखा निर्माण है जिसे मोबाइल और बहुउपयोगी बनाने के लिए विशेषरूप से डिज़ाइन किया गया है। इसे लंबे समय तक इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए बेहद मजबूत और टिकाऊ सामग्री से निर्मित किया गया है। साथ ही इसे एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है।
अधिकांश मौजूदा लॉन्च पेडेस्टल एक ही स्थान पर स्थायी रूप से स्थापित किए जाते हैं और एक बार इस्तेमाल करने के बाद उन्हें फेंक दिया जाता है। लेकिन धनुष को बार-बार कई बार इस्तेमाल करने के लिए तैयार किया गया है। इसकी पोर्टेबिलिटी की वजह से इसे दुनिया के किसी भी कोने में ले जाकर अग्निबान की लॉन्चिंग की जा सकती है।
अग्निबाण का नाम संस्कृत भाषा के "आग की बाण" शब्द से लिया गया है। यह भारत की पहली निजी कंपनी द्वारा निर्मित रॉकेट है।
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