इनवर्टर का इतिहास: किसने किया आविष्कार, कैसी रही चुनौतियां और अब तक कैसे बदला इसका सफर
सारांश
इनवर्टर क्या है और क्यों है जरूरी? इनवर्टर एक ऐसा उपकरण है जो बैटरी में जमा डीसी (DC) करंट को एसी (AC) करंट में बदलता है, ताकि बिजली कटौती के समय भी घर-ऑफिस की लाइटें, पंखे और जरूरी उपकरण चलते रहें। बिजली संकट और अनियमित सप्लाई वाले इलाकों में इनवर्
इनवर्टर क्या है और क्यों है जरूरी?
इनवर्टर एक ऐसा उपकरण है जो बैटरी में जमा डीसी (DC) करंट को एसी (AC) करंट में बदलता है, ताकि बिजली कटौती के समय भी घर-ऑफिस की लाइटें, पंखे और जरूरी उपकरण चलते रहें। बिजली संकट और अनियमित सप्लाई वाले इलाकों में इनवर्टर जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
इनवर्टर की खोज कब और किसने की?
इनवर्टर की मूल अवधारणा 19वीं सदी में सामने आई, जब वैज्ञानिक निकोलस जोसेफ कैगनोट और माइकल फैराडे ने इलेक्ट्रिकल करंट के रूपांतरण पर प्रयोग शुरू किए। आधुनिक इनवर्टर का प्रारंभिक रूप 1920 के दशक में विकसित हुआ। हालाँकि, घरेलू इस्तेमाल के लिए इनवर्टर का विकास 1960 के बाद तेजी से हुआ, जब अमेरिका और यूरोप में पॉवर बैकअप की ज़रूरतें बढ़ने लगीं।
शुरुआती दौर में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
शुरुआती इनवर्टर भारी-भरकम और महंगे थे। बैटरी तकनीक भी सीमित थी। इनवर्टर की एफिशिएंसी कम और मेंटेनेंस ज़्यादा थी। वहीं, करंट के रूपांतरण में पावर लॉस और उपकरणों की सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा था।
बैटरी की चार्जिंग, वोल्टेज कंट्रोल और साइन वेव इनवर्टर जैसी तकनीकें विकसित करने में दशकों लग गए। इसके अलावा, इनवर्टर का आकार और लागत भी आम लोगों की पहुँच से दूर थी।
अब तक इनवर्टर में क्या-क्या बदला?
तकनीक के साथ इनवर्टर भी बेहद स्मार्ट और किफायती हो गए हैं। पहले जहां केवल स्क्वेयर वेव इनवर्टर उपलब्ध थे, अब साइन वेव और हाइब्रिड इनवर्टर भी बाजार में हैं।
आज के इनवर्टर में इन-बिल्ट एमसीबी, एलसीडी डिस्प्ले, सोलर चार्ज कंट्रोलर और ऑटोमैटिक कटऑफ जैसी सुविधाएं हैं। स्मार्ट इनवर्टर अब मोबाइल ऐप से कंट्रोल किए जा सकते हैं और इनमें IoT तकनीक का इस्तेमाल भी हो रहा है।
इनवर्टर के प्रकार
आज बाजार में इनवर्टर कई कैटेगरी में उपलब्ध हैं:
- स्क्वेयर वेव इनवर्टर: किफायती लेकिन थोड़ी नॉयजी।
- साइन वेव इनवर्टर: ज्यादा एफिशिएंट और सुरक्षित।
- हाइब्रिड सोलर इनवर्टर: सोलर और ग्रिड दोनों से चार्ज होने वाला।
- आईoटी इनवर्टर: मोबाइल ऐप और वॉयस असिस्टेंट से कंट्रोल होने वाला।
भारत में इनवर्टर की बढ़ती मांग
भारत में बिजली कटौती एक बड़ा मुद्दा रहा है, खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में। पिछले दो दशकों में इनवर्टर कंपनियों ने भारतीय परिस्थितियों के अनुसार प्रोडक्ट डिजाइन किए। आज भारत ल्यूमिनस, माइक्रोटेक, एक्साइड, और सुजलॉन जैसी कंपनियों का बड़ा बाजार बन चुका है।
भविष्य का इनवर्टर कैसा होगा?
भविष्य में इनवर्टर पूरी तरह स्मार्ट और AI बेस्ड होंगे। बैटरीलेस इनवर्टर और ग्रिड फ्री सोलर इनवर्टर तकनीक पर काम हो रहा है। इनमें ऑटोमैटिक एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम होगा, जो बिजली की उपलब्धता और खपत के हिसाब से खुद को एडजस्ट कर सकेगा।
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