जन सुराज आंदोलन को मिलेगा नया रूप: जान्हवी दास होगी राष्ट्रीय अध्यक्ष? अटकलें तेज
सारांश
पटना: देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर आज राजनीति के मैदान में एक नया अध्याय लिखने जा रहे हैं। ढाई साल की कड़ी मेहनत और बिहार की धरती पर जन-जन से जुड़कर उनके मुद्दों को समझने के बाद, प्रशांत किशोर अपनी ‘जन सुराज’ आंदोलन को एक राजनीतिक
पटना: देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर आज राजनीति के मैदान में एक नया अध्याय लिखने जा रहे हैं। ढाई साल की कड़ी मेहनत और बिहार की धरती पर जन-जन से जुड़कर उनके मुद्दों को समझने के बाद, प्रशांत किशोर अपनी ‘जन सुराज’ आंदोलन को एक राजनीतिक पार्टी का रूप देने वाले हैं। सुबह 11 बजे पटना के वेटरनरी कॉलेज ग्राउंड पर जुटी लाखों की भीड़ के बीच यह ऐलान होगा, और बिहार के भविष्य की राजनीति में एक नया नाम जुड़ने जा रहा है।
पीके, जैसा कि उन्हें लोग जानते हैं, ने बिहार के 17 जिलों में 5 हजार किलोमीटर से ज्यादा की पदयात्रा की है, जिसमें 5500 गांवों तक पहुंचकर हर घर, हर गली, हर मोहल्ले में लोगों से मुलाकात की है। यह यात्रा केवल एक राजनेता के तौर पर नहीं, बल्कि एक साथी, एक मददगार के रूप में रही है। आज का दिन उनकी इस कठिन यात्रा का निर्णायक पड़ाव है, जब वे अपने जन सुराज अभियान को औपचारिक रूप से एक राजनीतिक दल में तब्दील करेंगे।
पटना के वेटरनरी कॉलेज ग्राउंड पर हो रहे इस जलसे में जन सुराज से जुड़े हजारों लोग बिहार के हर पंचायत, प्रखंड और जिले से पहुंच चुके हैं। जन सुराज का दावा है कि ये केवल एक राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि एक करोड़ से ज्यादा बिहारियों का सपना है जो एक नई राजनीति को आकार देने के लिए एकजुट हुए हैं।
इस पूरे अभियान में एक नाम खास तौर पर चर्चा में है—डॉ. जाह्नवी दास, जो प्रशांत किशोर की पत्नी हैं। हाल ही में पीके ने पहली बार अपनी पत्नी का परिचय सार्वजनिक तौर पर कराया था और उनकी तारीफ में कहा था कि उनके संघर्ष और सफलता के पीछे जाह्नवी का अहम योगदान है। जाह्नवी दास का नाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए प्रमुखता से उभर रहा है, लेकिन प्रशांत किशोर परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए उन्हें यह जिम्मेदारी देने से शायद परहेज करें।
सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशांत किशोर की इस नई पार्टी का नाम क्या होगा? चुनाव चिह्न क्या होगा? और सबसे अहम, राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? बिहार की सियासी धरती पर यह कदम कितना असर करेगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन एक बात तय है—आज बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जाने वाला है, और यह बिहार की राजनीति को हिलाकर रख सकता है।
आज का दिन प्रशांत किशोर की मेहनत और संघर्ष का साक्षी है, जब उनके सपनों को एक राजनीतिक आकार मिलेगा, और उनके द्वारा संजोए गए ‘जन सुराज’ का सपना एक सच्चाई में तब्दील होगा।
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