सरकार और विपक्ष पर पप्पू यादव का हमला: पानी में जनता, विदेश में नेता
सारांश
बिहार में बाढ़ की मार से लोग बेहाल हैं, लेकिन लगता है नेताओं की दुनिया में सब कुछ सामान्य है। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सब अपने-अपने मौज-मस्ती में व्यस्त हैं। पप्पू यादव ने जैसे ही माइक उठाया, उनके निशाने पर पूरा राजनीतिक कुनबा था। वे बोले, "एक तरफ स
बिहार में बाढ़ की मार से लोग बेहाल हैं, लेकिन लगता है नेताओं की दुनिया में सब कुछ सामान्य है। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सब अपने-अपने मौज-मस्ती में व्यस्त हैं। पप्पू यादव ने जैसे ही माइक उठाया, उनके निशाने पर पूरा राजनीतिक कुनबा था।
वे बोले, "एक तरफ सरकार दिल्ली की चकाचौंध में डूबी है, तो दूसरी ओर विपक्ष विदेश की हवा खा रहा है। और एक नेता तो हैं, जिन्होंने न कभी खुद पानी छुआ और न उनके पुरखों ने। लेकिन बाढ़ पर बड़े-बड़े भाषण देना इनकी आदत बन चुकी है!"
पप्पू यादव का सवाल वाजिब है—आखिर 40 साल से जो सरकारें बिहार में आईं, उन्होंने बाढ़ से बचने के लिए क्या किया? कब तक कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल के लोगों को यूं ही बेहाल छोड़ते रहेंगे? हर साल वही जल प्रलय, वही बर्बादी, और सरकारी वादे!
हकीकत ये है कि लोग भूख से मर रहे हैं, पशुओं के लिए चारे की किल्लत है, और अस्पतालों में सांप काटने की दवा तक नहीं है। फिर भी सरकार कहती है, "हमारे पास सब साधन हैं!" पप्पू यादव ने इसे भी आड़े हाथों लिया, "भाई, साधन कहां हैं? न एक भी कम्युनिटी किचन चालू है, और न एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के पास नाव चलाने के लिए तेल!" लोग मजबूर हैं, अपनी जेब से 300-400 रुपये खर्च कर भाड़े की नावों से बाहर निकलने को।
पप्पू यादव ने एक और अहम सवाल उठाया, "नेपाल से इतनी डरपोक नीति क्यों? हर साल नेपाल से पानी आता है और हम डूबते रहते हैं। सरकार नेपाल से बातचीत क्यों नहीं करती?" कोसी और गंडक के बांधों के टूटने पर भी उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी, "बांध टूटते हैं तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है? इंजीनियरों को जवाबदेह क्यों नहीं ठहराया जाता?"
बिहार की जनता हर साल बाढ़ के पानी में डूबती रहती है, लेकिन नेताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। शायद उन्हें लगता है कि ये बाढ़ भी एक सियासी खेल का हिस्सा है, जिसमें वे हमेशा सूखे रहते हैं और जनता पानी में!
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