पुत्रदा एकादशी व्रत कथा: संतान सुख का दिव्य व्रत - जाने इस व्रत की विधि, महत्व और दिव्य उपाय
सारांश
Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी का नाम इसके फल से लिया गया है - 'पुत्र' यानी बेटा और 'दा' यानी देने वाला। मान्यता है कि इस दिन किया गया व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है, जो संतान की इच्छा रखने वाले दंपतियों को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देत
Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी का नाम इसके फल से लिया गया है - 'पुत्र' यानी बेटा और 'दा' यानी देने वाला। मान्यता है कि इस दिन किया गया व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है, जो संतान की इच्छा रखने वाले दंपतियों को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। यह व्रत न केवल संतान प्राप्ति के लिए, बल्कि संतान के स्वास्थ्य, शिक्षा और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। पुत्रदा एकादशी एक ऐसा व्रत है जो न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुष्टि भी देता है। यह व्रत हमें याद दिलाता है कि संतान एक वरदान है और उनके कल्याण के लिए प्रार्थना और प्रयास दोनों आवश्यक हैं। चाहे आप संतान की इच्छा रखते हों या नहीं, यह व्रत आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद ला सकता है।
पुत्रदा एकादशी का महत्व
1. संतान प्राप्ति: इस व्रत को करने से निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। 2. संतान की समस्याओं का निवारण: यह व्रत संतान संबंधी समस्याओं के समाधान में सहायक माना जाता है। 3. भगवान विष्णु की कृपा: इस दिन की गई पूजा से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं। 4. पापों से मुक्ति: इस व्रत को करने से पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि
1. व्रत की तैयारी: व्रत के एक दिन पहले, दशमी तिथि को, एक समय भोजन करें और शुद्ध रहें। 2. प्रातः स्नान: एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें। 3. संकल्प: व्रत रखने का संकल्प लें। 4. पूजा: भगवान विष्णु की पूजा करें। तुलसी पत्र, चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप आदि से पूजा करें। 5. कथा श्रवण: पुत्रदा एकादशी की कथा का श्रवण करें। 6. उपवास: पूरे दिन उपवास रखें। कुछ लोग फलाहार या एक समय का भोजन करते हैं। 7. जागरण: रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन में समय व्यतीत करें। 8. पारण: अगले दिन द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
पुत्रदा एकादशी के दिव्य उपाय
1. तुलसी पूजन: तुलसी के पौधे की पूजा करें और उसकी परिक्रमा करें। 2. दान: गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करें। 3. मंत्र जाप: पुत्रदा एकादशी के दिन संतान गोपाल मंत्र "ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता" - "ॐ क्लीं कृष्णाय नमः" का जाप करना चाहिए." 4. व्रत कथा: पुत्रदा एकादशी की कथा सुनें और सुनाएं। 5. पीपल पूजन: पीपल के वृक्ष की पूजा करें और उसकी परिक्रमा करें।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
- व्रत के दौरान सात्विक आचरण रखें। - क्रोध, लोभ, मोह से दूर रहें। - शुद्ध और पवित्र रहें। - भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें।
कथा :
Ekadashi vrat katha : प्राचीन काल में महेन्द्र नाम का एक राजा था। वह धर्मपरायण और न्यायप्रिय शासक था। उसकी पत्नी का नाम फुल्लरा था। राजा और रानी बहुत प्रेम से रहते थे, लेकिन उन्हें एक बड़ा दुःख था - उनके कोई संतान नहीं थी।
वर्षों बीत गए, लेकिन रानी गर्भवती नहीं हुई। राजा और रानी ने अनेक मंदिरों में पूजा की, कई ऋषि-मुनियों से आशीर्वाद लिया, लेकिन कोई फल नहीं मिला। वे दोनों बहुत दुखी रहने लगे।
एक दिन महर्षि नारद उनके महल में पधारे। राजा और रानी ने उनका सम्मान किया और अपना दुःख बताया। महर्षि नारद ने उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यह व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है और इससे निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
राजा और रानी ने महर्षि नारद के बताए अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। उन्होंने पूरी श्रद्धा और नियम से व्रत रखा, भगवान विष्णु की पूजा की और रात्रि जागरण किया।
व्रत के प्रभाव से कुछ ही समय बाद रानी फुल्लरा गर्भवती हुई। नौ महीने बाद उन्होंने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। राजा और रानी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने अपने राज्य में बड़े उत्सव का आयोजन किया और गरीबों को दान दिया।
इस प्रकार, पुत्रदा एकादशी के व्रत से राजा महेन्द्र और रानी फुल्लरा को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिला। तब से यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान की समस्याओं के निवारण के लिए किया जाने लगा।
पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से न केवल संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी आती है। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति का भी एक माध्यम है। आशा है कि इस पोस्ट से आपको पुत्रदा एकादशी के बारे में विस्तृत जानकारी मिली होगी।
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संजय पाठक (शास्त्री)
संजय पाठक एक प्रख्यात ज्योतिषी हैं जो कि मिथिला के रहने वाले हैं, इनके पास ज्योतिष विज्ञान का गहन ज्ञान और लंबे समय का अनुभव है। वे ग्रहों की गतियों और उनके प्रभावों को समझते हैं तथा जातक, मुहूर्त और वास्तु पर महारत रखते हैं। उनकी विशेषज्ञता के कारण लोग देश के विभिन्न स्थानों से लोग उनकी सलाह लेने आते हैं। संजय जी प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों और आधुनिक विज्ञान को जोड़कर ज्योतिष को और अधिक प्रासंगिक बनाने का प्रयास करते हैं।
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