हिंदुस्तान अखबार की पत्रकारिता पर सवाल: फोटो और हेडलाइन से फैलाई जा रही धार्मिक नफरत?
सारांश
गाजियाबाद में एक कारोबारी के घर में काम करने वाली नौकरानी रीना देवी पर आरोप है कि वह भोजन में पेशाब मिलाकर उसे परोस रही थी। यह चौंकाने वाला खुलासा घर में लगे सीसीटीवी कैमरों से हुआ। जैसे ही यह खबर फैली, उसे प्रमुखता से कई मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित
गाजियाबाद में एक कारोबारी के घर में काम करने वाली नौकरानी रीना देवी पर आरोप है कि वह भोजन में पेशाब मिलाकर उसे परोस रही थी। यह चौंकाने वाला खुलासा घर में लगे सीसीटीवी कैमरों से हुआ। जैसे ही यह खबर फैली, उसे प्रमुखता से कई मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित किया। लेकिन जब यह खबर हिंदुस्तान अखबार की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई, तो उस खबर के साथ एक हिजाब पहने महिला की प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई, जिससे विवाद खड़ा हो गया।

इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि अखबार ने इस तस्वीर के जरिये जानबूझकर इस घटना को मुस्लिम समुदाय से जोड़ने की कोशिश की है, जबकि दोषी का नाम रीना देवी है जो हिंदू है। आइए देखते हैं कि विभिन्न यूज़र्स ने इस पर क्या कहा:
निगार परवीन: निगार परवीन ने हिंदुस्तान की पत्रकारिता पर सवाल उठाते हुए लिखा,
LIVE हिंदुस्तान की डेस्क पर बैठा कोई प्रवीन शर्मा ‘मूत्र’ से रोटियाँ बना रही ‘रीना’ की खबर में मुस्लिम महिला का फोटो लगा रहा है। आप बताइए इसपर क्या कहेंगे? है ना थूक आक थू पत्रकारिता! ऐसे नफरती लोग पत्रकारिता के माथे पर कलंक हैं। लानत है!
उनके बयान में साफ तौर पर नाराजगी झलकती है कि किस तरह अखबार ने एक संजीदा मुद्दे को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा मिल सकता है।
समर अनार्या: समर अनार्या ने इस मुद्दे पर लिखा, ग़ाज़ियाबाद से एक परिवार की घरेलू सहायिका रीना के खाने में पेशाब मिलाने की खबर आई है। रीना भी हिंदू हैं और जिस परिवार में काम करती थीं वो भी। लेकिन दैनिक हिंदुस्तान ने खबर के साथ ‘प्रतीकात्मक’ फोटो हिजाब पहने महिला की लगाई है। क्या कारण होगा?
समर के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वह फोटो चयन को लेकर काफी सवाल उठा रहे हैं और इसे मीडिया द्वारा फैलाई जा रही नफरत की ओर इशारा कर रहे हैं।
वसीम अकरम त्यागी: वसीम अकरम त्यागी ने भी इस मुद्दे को लेकर कड़ा विरोध किया और कहा, गाजियाबाद में कारोबारी के घर खाना बनाने वाली नौकरानी खाने में पेशाब मिला देती थी, सीसीटीवी में इस बात का खुलासा हुआ। नौकरानी का नाम रीना देवी है। अब इस खबर में खेल देखिए। ये खबर LIVE हिंदुस्तान ने लगाई है। फोटो में जो नौकरानी दिखाई है वो हिजाब में है। यानी खबर देखकर यही लगे कि ये काम किसी मुस्लिम ने किया था। आज भी 80 फीसद लोग पूरी खबर नहीं पढ़ते, केवल फोटो और हेडिंग पढ़ते हैं। हिंदुस्तान ने अपनी हेडिंग और फोटो से जहर परोसने का काम कर दिया। शशि शेखर साब, आपकी डिजिटल डेस्क पर भी ऐसे कुंठित आ गए हैं! उन्हें तुरंत नौकरी से बर्खास्त कीजिए। वसीम का आरोप है कि मीडिया ने जानबूझकर इस खबर को सांप्रदायिक रंग दिया और लोगों को गुमराह किया।
मोहम्मद अम्मार खान: मोहम्मद अम्मार खान ने भी इस खबर को लेकर अपनी नाराजगी जताते हुए लिखा, गाजियाबाद में कारोबारी के घर खाना बनाने वाली नौकरानी खाने में पेशाब मिला देती थी। सीसीटीवी में इस बात का खुलासा हुआ। नौकरानी का नाम रीना देवी था। अब इस खबर में खेल देखिए। ये खबर हिन्दुस्तान अखबार ने लगाई है। फोटो में जो नौकरानी दिखाई है वो हिजाब में है। यानी खबर देखकर यही लगे कि ये काम किसी मुस्लिम ने किया था। आज भी 80 फीसद लोग पूरी खबर नहीं पढ़ते, केवल फोटो और हेडिंग पढ़ते हैं। हिंदुस्तान ने अपनी हेडिंग और फोटो से जहर परोसने का काम कर दिया। आज के दौर में अगर सबसे ज्यादा कोई धार्मिक उन्माद फैला रहा है तो वो भारतीय मीडिया है। इसके बाद हमारे नेता। जनता आज भी मासूम है। मोहम्मद अम्मार का बयान भी इसी दिशा में इशारा करता है कि मीडिया ने जनता को भ्रमित करने की कोशिश की है और इसे सांप्रदायिक रूप में पेश किया है।
हमारी नज़र में यह घटना एक गंभीर मुद्दा है जो मीडिया की ज़िम्मेदारी और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है। जिस तरह से हिंदुस्तान अखबार ने एक हिजाब पहने महिला की तस्वीर का उपयोग किया, जबकि आरोपी एक हिंदू महिला थी, इससे साफ तौर पर यह संदेश जाता है कि खबर के जरिए एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया गया। सोशल मीडिया पर यूज़र्स की तीखी प्रतिक्रियाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि लोग अब मीडिया की इस तरह की चालाकियों को समझने लगे हैं और इसके खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं।
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