वक्फ संशोधन विधेयक पर गरमाई राज्यसभा: 'उम्मीद' बनाम 'उम्माह' की बहस
सारांश
नई दिल्ली: राज्यसभा में गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने इसे गरीब मुसलमानों के हित में तैयार किया गया विधेयक बताया और कहा कि कुछ दल तुष्टिकरण की राजनीति के
नई दिल्ली: राज्यसभा में गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने इसे गरीब मुसलमानों के हित में तैयार किया गया विधेयक बताया और कहा कि कुछ दल तुष्टिकरण की राजनीति के चलते इसका विरोध कर रहे हैं।
त्रिवेदी ने कहा कि यह विधेयक पूरी गंभीरता से विचार-विमर्श के बाद लाया गया है लेकिन कुछ लोग इसमें खामियां बताकर भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने ताजमहल पर वक्फ बोर्ड के दावे पर सवाल उठाया और पूछा कि देश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड अलग-अलग क्यों हैं?
अपनी बात को शायराना अंदाज़ में रखते हुए उन्होंने विपक्ष पर तंज कसा, "वक्फ ने किया क्या हसीन सितम, मुस्लिम लीग और शिवसेना हो गए हम।" इसके जरिए उन्होंने राजनीतिक दलों की अवसरवादी नीतियों की आलोचना की।
त्रिवेदी ने इसे 'शराफत अली बनाम शरारत खान' की लड़ाई करार दिया और कहा कि सरकार शरीफ और गरीब मुसलमानों के साथ खड़ी है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह वोट बैंक के हिसाब से अल्पसंख्यकों के मुद्दे तय करती है।
वक्फ संपत्तियों को लेकर उन्होंने सवाल उठाया कि जब मुगलकालीन ज़मीनें ब्रिटिश काल में जब्त कर ली गई थीं, तो पिछली सरकारों ने कैसे इन दावों को वैधता दी? उन्होंने यह भी पूछा कि जिस तरह मुस्लिम वक्फ संपत्तियों की वसूली हुई, वैसी हिंदू और सिख संपत्तियों की क्यों नहीं ?
मुस्लिम समाज की बदलती छवि पर चिंता जताते हुए त्रिवेदी ने कहा कि पहले यह समाज बिस्मिल्लाह खान, कैफी आजमी और साहिर लुधियानवी जैसे नामों से जुड़ा था, अब दाऊद इब्राहिम और अतीक अहमद जैसे नामों से। उन्होंने इसे 1976 से शुरू हुई 'धर्मनिरपेक्ष राजनीति' का दुष्परिणाम बताया।
उनकी टिप्पणियों पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई। जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और फौजिया खान समेत कई नेताओं ने कहा कि पूरे समुदाय को अपराधियों से जोड़ना निंदनीय है। हालांकि, सभापति ने त्रिवेदी के इरादों को सही बताते हुए उनके बचाव में बात कही, जिससे बहस और तीखी हो गई।
त्रिवेदी ने अंत में कहा कि यह विधेयक 'उम्मीद' की तरह है, जबकि कुछ लोग 'उम्माह' यानी इस्लामिक राष्ट्र की कल्पना में उलझे हैं। 'उम्मीद' वालों को रोशनी दिख रही है, 'उम्माह' वाले निराश हो रहे हैं।
वहीं, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून सभी समुदायों को एक साथ लाने वाला है। उन्होंने दावा किया कि अब मुस्लिम वोट कांग्रेस नहीं, भाजपा को मिलेंगे और नरेंद्र मोदी चौथी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।
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