झुग्गी से झलक तक: रवि किशन से बीडी त्यागी बनने तक का संघर्षपूर्ण सफर
सारांश
रवि किशन [https://en.wikipedia.org/wiki/Ravi_Kishan] का जन्म बिहार के एक गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही वो नाचने-गाने में रुचि रखते थे। लेकिन उनके पिता शुक्लाजी, जो एक इज्जतदार गरीब आदमी थे, इस बात से बिलकुल खुश नहीं थे। वो चाहते थे
रवि किशन का जन्म बिहार के एक गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही वो नाचने-गाने में रुचि रखते थे। लेकिन उनके पिता शुक्लाजी, जो एक इज्जतदार गरीब आदमी थे, इस बात से बिलकुल खुश नहीं थे। वो चाहते थे कि रवि कोई सही काम करे।
एक दिन जब रवि किसी शादी की बारात में नाच रहे थे तो शुक्लाजी ने उन्हें घर लाकर बुरी तरह पीटा। रवि की मां ने डरकर उन्हें 500 रुपये देकर गांव से भाग जाने को कहा, क्योंकि शुक्लाजी उन्हें मार डालने वाले थे।
इस तरह 16 साल की उम्र में रवि मुंबई पहुंच गए। शुरुआत में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। छत पर रहना, धोबी का काम करना आदि। लेकिन उनका सपना था अभिनय करना। धीरे-धीरे उन्हें छोटे-मोटे रोल मिलने लगे।
2003 में फिल्म 'तेरे नाम' में उनका अभिनय काफी सराहा गया और उन्हें कुछ अवॉर्ड्स के लिए भी नॉमिनेट किया गया। इसके बाद भी वो मुख्य भूमिकाएं नहीं पा सके। कुछ समय बाद बिग बॉस शो में उन्होंने हिस्सा लिया जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ी।
फिर धीरे-धीरे उन्हें फिल्मों में छोटे-बड़े किरदार मिलने लगे जिनमें 'हेरा फेरी' की एक छोटी सी भूमिका भी थी। लेकिन अभी तक उन्हें बतौर लीड एक्टर सफलता नहीं मिल पाई थी।
इसलिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा और यूपी से सांसद बन गए। लेकिन साथ-साथ अभिनय से कभी दूर नहीं हुए। कई फिल्मों में अहम भूमिकाएं निभाईं।
आखिरकार 2024 में वो पूरी तरह चमक गए जब उन्होंने नेटफ्लिक्स की सीरीज 'मामला लीगल है' में मुख्य किरदार बीडी त्यागी का किरदार निभाया। यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण और कठिन भूमिका थी जिसमें कई शेड्स थे। रवि ने अपने अभिनय से इस किरदार को पूरी तरह जिया और इसकी बहुत तारीफ हुई।
इसके बाद उन्हें फिल्म 'लापता लेडिज' में भी मुख्य भूमिका मिली। खबरें थीं कि उन्होंने इस फिल्म में आमिर खान को रिप्लेस किया था। यह फिल्म भी हिट हुई और रवि का अभिनय खूब सराहा गया।
इस तरह लगभग 32 साल के लंबे संघर्ष के बाद रवि किशन को उनके करियर की सबसे बड़ी सफलता मिली। वो जिस किरदार और पहचान के लिए सपना देखते थे, वो हासिल कर पाए। साथ ही उनके पास अब पैसा, शोहरत और राजनीतिक पावर भी है।
रवि की कहानी एक असाधारण संघर्ष और लगन की मिसाल है। उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने सपनों को छोड़ा नहीं। चाहे पिता की पिटाई झेलनी पड़ी हो, चाहे गरीबी में जीना पड़ा हो। लेकिन अपने जुनून के लिए वो लगातार प्रयासरत रहे। आज उन्हें उनकी मेहनत का फल मिला है।
कहा जाता है कि एक कलाकार को अपनी झोली में ऐसा किरदार होना चाहिए जो उसे नामी-गिरामी बना दे। रवि को बीडी त्यागी जैसा किरदार मिला और वो स्टार बन गए। अभी भी बहुत से टैलेंटेड एक्टर अपने वक्त की राह देख रहे हैं। जब उन्हें भी अपना वक्त मिलेगा, तब वो भी दमदार बैटिंग करेंगे।
यह रवि की सफलता की मिसाल है कि मेहनत, लगन और संघर्ष से कोई भी अपना सपना पूरा कर सकता है।
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