तोमर वंश द्वारा विगत 150 वर्षों से अनवरत हो रहा है माता बिषहरा की पूजा अनुष्ठान : संतोष सिंह तोमर
सारांश
हिन्दू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी सावन मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाया जाता है।सौर प्रखंड के दमगढ़ी गांव स्थित मां विषहरी स्थान पिछले 150 वर्षों से लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है।यहां वर्षों पूर्व से ही मां भगवती की अराधना की जा रही है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी सावन मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाया जाता है।सौर प्रखंड के दमगढ़ी गांव स्थित मां विषहरी स्थान पिछले 150 वर्षों से लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है।यहां वर्षों पूर्व से ही मां भगवती की अराधना की जा रही है।
वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह तोमर के अनुसार तोमर वंश के राजपूतों ने माता विषहरी को अपने जमीन में जगह देकर भगवती के प्रति आस्था और विश्वास को अभी तक बनाए रखा है।बताते चलेंकि राजपूतों ने इस मंदिर के पुजारी के रुप में कुम्हार जाति के लोगों को पुजारी बनाया, तबसे यह अद्भुत परंपरा क़ायम है। अद्भुत इसलिए कि जाति रूपी वैमनस्य परम्परा यहाँ कभी जन्म नहीं ले सका।
यह यहाँ के राजपूतों की खासियत रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवती को चढ़ाये जाने वाले जल (नीर) को अगर किसी विषधर के काटे जाने के बाद पीड़ित को पिलाया जाता है तो उस व्यक्ति की जान बच जाती है।यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना भी पूरी होती है। मंदिर के पुजारी के अनुसार सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को वैरागन का दिन होता है।
उस दिन मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालुओं के द्वारा भगवती को पूजा-अर्चना कर छाग की बलि चढ़ायी जाती है। नागपंचमी के मौके पर उक्त मंदिर परिसर में तीन दिवसीय मेला लगता है। उस दौरान श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है। आयोजित मेले में ग्रामीणों की भागीदारी से आगंतुक लोगों को किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं होती है।
प्रशासनिक स्तर पर भी चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था रहती है। बताते चलेंकि यहाँ के श्रद्धालू सिर्फ कोसी क्षेत्र के हीं नहीं होते हैं।बल्कि बिहार से सटे नेपाल के तराई क्षेत्र के भी भक्त यहाँ सालों भर पूजा अर्चना करने आते हैं। माता विषहरी दमगढ़ी की महिमा अपरम्पार है।
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